उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन भाजपा ने समान नागरिक संहिता का मास्टर स्ट्रोक चला

देवभूमि उत्तराखंड के स्वरूप में हो रहे बदलाव को लेकर उठती चिंताओं के बीच भाजपा ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन समान नागरिक संहिता का मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। सत्तारूढ़ दल के इस कदम को कांग्रेस को असहज करने वाला माना जा रहा है। कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व का रुख समान नागरिक संहिता के पक्ष में नहीं रहा है। ऐसे में उत्तराखंड में यह मुद्दा गर्माने से पार्टी शायद ही खुलकर समर्थन या विरोध में आ सके। मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जुमे की नमाज की छुट्टी को लेकर पहले से बैकफुट पर नजर आ रही कांग्रेस के लिए समान नागरिक संहिता के भाजपा के दांव की काट आसान नहीं रहने वाली है।

प्रदेश में पांचवीं विधानसभा चुनाव का महासमर अब रोचक हो गया है। 2017 में तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुई भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने प्रदर्शन को दोहराने और सत्ता पर पकड़ बनाए रखने की है। कांग्रेस ने भाजपा से मिल रही चुनौती का मुकाबला करने के लिए इस बार सधी रणनीति पर कदम आगे बढ़ाए हैं। इसके बूते कांग्रेस खुद को भाजपा के मुकाबले में ला पाई। कड़े होते जा रहे इस मुकाबले में अब शह और मात का खेल अंतिम चरण में है। समान नागरिक संहिता की मतदान से ठीक पहले घोषणा कर भाजपा ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है।

जनसांख्यिकी बदलाव की चिंता से बढ़ा भू-कानून का विरोध

दरअसल, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद जिस तरह जनसांख्यिकी में तेजी से बदलाव हो रहा है, विशेष रूप से समुदाय विशेष की बढ़ रही आबादी राज्य के भीतर और सीमांत क्षेत्रों में नई चुनौती खड़ी कर चुकी है। भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार के लचीले भू-कानून के विरोध के पीछे इसी चिंता को माना जा रहा है। कांग्रेस ने इसी जन विरोध को भांपकर भू-कानून को रद करने का खुलकर समर्थन किया। भाजपा के भीतर भी जनसांख्यिकी में हो रहे बदलाव का मुद्दा तूल पकड़ा। इसके बाद सत्ताधारी दल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस कानून से पीछे हटने और सख्त कानून के पक्ष में खुलकर सामने आ चुके हैं।

बड़े मुद्दे छीनने को सक्रिय रहा सत्ताधारी दल

भाजपा हर मुमकिन कोशिश कर रही है कि कांग्रेस के हाथ से बड़े मुद्दे को छीना जाए। इस बीच नाम वापसी के बाद अंतिम चरण की ओर बढ़ रहे चुनाव में कांग्रेस की परेशानी उस वक्त बढ़ गई, जब मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का मुद्दा उछला। इससे बचाव की कोशिश के दौरान जुमे की नमाज के लिए छुट्टी के हरीश रावत के मुख्यमंत्रित्व काल के शासनादेश ने कांग्रेस को असहज किया। हालांकि कांग्रेस और उसके तमाम नेताओं ने इन दोनों से ही कन्नी काटी और इसे भाजपा का प्रपंच करार दे दिया।

सीएम धामी ने गर्मा दी राजनीति

देशभर में हिजाब के बहाने शुरू हुई ध्रुवीकरण और तुष्टीकरण की राजनीति के बीच भाजपा ने समान नागरिक संहिता लागू करने का मुद्दा तुरंत लपक लिया। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समान नागरिक संहिता का समर्थन करने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक कदम आगे बढ़कर राज्य में भाजपा की अगली सरकार बनने पर इसे लागू करने की बात कहकर प्रदेश की राजनीति को नए सिरे से गर्मा दिया है।

बुद्धिजीवियों का एक वर्ग भी रहा है समर्थक

प्रदेश में बुद्धिजीवियों, स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों और आम जनमानस के बीच एक वर्ग समान नागरिक संहिता के पक्ष में रहा है। यह वर्ग प्रदेश की जनसांख्यिकी बदलाव को लेकर भी मुखर रहा है। भाजपा ने समान नागरिक संहिता के बहाने इस वर्ग के साथ आम मतदाता के बीच इस मुद्दे को विमर्श के लिए रख दिया है।

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