उत्तराखण्ड

पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल की होने वाली बैठक में टो इरोजन रोकने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा

देहरादून:  भूधंसाव से अस्तित्व संकट का सामना कर रहे जोशीमठ को बचाने और स्थानीय नागरिकों के पुनर्वास को सरकार ने रणनीतिक कदम उठाने की तैयारी कर ली है।

धंसाव के लिए अब तक बड़े कारण के रूप में अलकनंदा नदी से जोशीमठ की तलहटी में हो रहे कटाव (टो इरोजन) को आंका गया है। पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल की शुक्रवार को होने वाली बैठक में टो इरोजन रोकने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा।

साथ में क्षेत्र में असुरक्षित हो गए भवनों के निवासियों के अस्थायी एवं स्थायी पुनर्वास के साथ ही उन्हें तत्काल राहत के रूप में मुआवजा देने के प्रस्ताव पर भी मंत्रिमंडल की मुहर लगेगी। केंद्र को भेजे जाने वाले लगभग एक हजार करोड़ के राहत पैकेज को भी स्वीकृति दी जाएगी।

राज्य सरकार की मशीनरी और केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट मोड में

जोशीमठ में बीती दो जनवरी से भूधंसाव की विकट स्थिति सामने आने के बाद राज्य सरकार की मशीनरी और केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं। शहर और शहरवासियों की सुरक्षा को विभिन्न स्तर पर फौरी कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है।

साथ में राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय संस्थानों के स्तर से भूधंसाव के कारणों की पड़ताल भी की जा रही है। अभी तक प्रारंभिक तौर पर जो भी निष्कर्ष सामने आए हैं, उन पर अब मंत्रिमंडल की मुहर लगेगी। आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत सिन्हा ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में बताया कि जोशीमठ की सुरक्षा और पुनर्वास को लेकर शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में अहम निर्णय लिए जाएंगे।

पुनर्वास के लिए चिह्नित किए जा रहे स्थलों का भी भूगर्भीय सर्वेक्षण होगा। जोशीमठ में ड्रेनेज संबंधित कार्यों और टो-इरोजन की रोकथाम को ईपीसी मोड में तत्काल कार्य प्रारंभ करने को सिंचाई विभाग से प्रस्ताव प्राप्त हो गया है। इसमें प्रस्तावित एकल स्रोत की संस्था नामित करने को पत्रावली वित्त को भेजी गई है।

भूधंसाव के कारण जानने को अलग-अलग हो रही जांच

आपदा प्रबंधन सचिव ने बताया कि जोशीमठ में भूमि धंसने के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर अलग-अलग जांच की जा रही हैं। आइआइटी रुड़की भू-तकनीकी अध्ययन कर रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग (आइआइआरएस) लैंड मूवमेंट के सेटेलाइट फोटो उपलब्ध कराए जाएंगे।

जीएसआइ प्रभावित क्षेत्र का भूमि सर्वेक्षण एवं पुनर्वास के लिए चयनित भूमि का भूगर्भीय अध्ययन किया जा रहा है। वाडिया हिमालय भूवैज्ञानिक संस्थान क्षेत्र का भूकंपीय दृष्टि से अध्ययन कर रहा है। तीन भूकंपीय स्टेशन लगाए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त भूमिगत उप सतही सर्वेक्षण के भू-भौतिकीय अन्वेषण शुरू किया गया है।

जोखिम मूल्यांकन को समिति का गठन

डा सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआइ) प्रभावित क्षेत्र का भू-भौतिकीय अध्ययन कर रहा है। इसका हाइड्रोलाजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जाएगा।

एनजीआरआइ की टीम शुक्रवार को जोशीमठ पहुंच रही है। यह भूमिगत जल चैनल का अध्ययन करेगी। जोखिम मूल्यांकन को सीबीआरआइ, वाडिया इंस्टीट्यूट, जीएसआइ, आइआइआरएस व एनजीआरआइ की समिति गठित की गई है।

सीबीआरआइ के सहयोग को पीडब्ल्यूडी के 30 अभियंता

उन्होंने बताया कि भवनों में धंसाव से क्षति के आकलन को सीबीआरआइ के साथ लोक निर्माण विभाग के 30 अभियंताओं की टीम भी लगाई है।

सीबीआरआइ ध्वस्तीकरण से नुकसान का आकलन, ध्वस्त किए जाने वाले आवासों की निगरानी और अस्थायी पुनर्वास को प्री फैब हट की डिजायन तैयार किया जा रहा है। सीबीआरआइ की टीम जोशीमठ पहुंचकर क्षतिग्रस्त भवनों के सर्वेक्षण में जुट गई है।

एनडीआरएफ की और एक टीम पहुंचेगी

डा सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में प्रारंभ में जल रिसाव 540 एलपीएम था। यह अब घटकर 240 एलपीएम हो गया है। धंसाव से प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी संभावित खतरे को देखते हुए सेना, आइटीबीपी के हेलीकाप्टर तैनात किए गए हैं।

एनडीआरएफ की दो टीम तैनात हैं, जबकि जोशीमठ के लिए और एक टुकड़ी रवाना की जा रही है। जोशीमठ में एसडीआरएफ की आठ टुकडिय़ां तैनात की गई हैं।

प्रभावितों को प्रति परिवार 5000 रुपये घरेलू राहत सामग्री के लिए दिए गए हैं। अभी तक कुल 73 प्रभावितों को यह राशि दी गई है। अधिक या पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों के लिए 10 प्रभावितों को 13 लाख रुपये, 4000 रुपये प्रति परिवार की दर से तीन परिवारों को 12 हजार रुपये वितरित किए गए हैं।

विस्थापित परिवारों की संख्या हुई 169

आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार भूधंसाव प्रभावित क्षेत्रों के विस्थापित परिवारों की संख्या बढ़कर 169 हो गई है। इनकी कुल सदस्य संख्या 589 है। अस्थायी शिविर के लिए जोशीमठ में चयनित 344 कक्षों में 1425 व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था है।

पीपलकोटी में 491 कक्षों में 2205 व्यक्ति ठहर सकेंगे। चार वार्डों गांधीनगर वार्ड संख्या-एक, सिंहधार वार्ड संख्या-चार, मनोहर बाग वार्ड संख्या-पांच और सुनील वार्ड संख्या-सात और उनके 128 भवन असुरक्षित घोषित किए गए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button