उत्तराखण्ड

उत्तराखंड के वार्षिक बजट के सदुपयोग के लिए शक्ति झोंक रही धामी सरकार को कई विभाग झटका दे रहे

देहरादून। प्रदेश के वार्षिक बजट के सदुपयोग के लिए शक्ति झोंक रही धामी सरकार को कई विभाग झटका दे रहे हैं। विकास और निर्माण कार्यों के लिए पूंजीगत मद में प्राप्त धनराशि को ये विभाग खर्च नहीं कर पाए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी, सिंचाई, लघु सिंचाई, शहरी विकास, आवास, उद्यान, ऊर्जा, खेल, समाज कल्याण जैसे 12 से अधिक विभाग बजट खर्च में अपने प्रदर्शन से सरकार के माथे पर बल डाले हुए हैं।

खर्च में विभाग फिसड्डी है। विभाग को ढुलमुल रवैया छोड़कर बजट उपयोग की योजना उपलब्ध कराने की हिदायत दी गई है। वन विभाग को पूंजीगत बजट में 80 करोड़ रुपये के प्रावधान से 35 करोड़ आवंटित किए गए, लेकिन खर्च मात्र 20 करोड़ ही किए जा सके हैं। सिंचाई विभाग को पूंजीगत पक्ष में 736 करोड़ का प्रावधान किया गया। इसमें से 210 करोड़ विभाग की झोली में आ चुके हैं। खर्च मात्र 106 करोड़ रुपये ही हो पाए।

अब तक खर्च हुए इतने रुपये

लघु सिंचाई ने पूंजीगत पक्ष में 189 करोड़ की राशि के प्रावधान में से खर्च के लिए 85 करोड़ की राशि जारी की है। इसमें से भी मात्र 49 करोड़ खर्च हुए हैं। ऊर्जा विभाग के लिए 1194 करोड़ का पूंजीगत मद में प्रावधान है। इसमें से 262 करोड़ आवंटित किए गए हैं। लखवाड़ परियोजना में 82 करोड़ खर्च किया जाएगा। आगामी फरवरी तक 120 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

आपदा प्रबंधन विभाग के लिए आवंटित हुए इतने पैसे

आपदा प्रबंधन विभाग के लिए पूंजीगत प्रावधान 1082 करोड़ रुपये है। बजट आवंटन मात्र 81 करोड़ है। यह राशि विभाग खर्च कर चुका है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिए पूंजीगत मद में 65 करोड़ रुपये का प्रावधान है। आवंटित की गई चार करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है। समाज कल्याण के लिए 132 करोड़ का बजट रखा गया है। इसमें से 17 करोड़ आवंटित किए गए। खर्च करने की धीमी गति के कारण मात्र आठ करोड़ ही उपयोग में लाए जा सके हैं।

युवा कल्याण विभाग का है इतना बजट

युवा कल्याण विभाग के लिए 28 करोड़ का बजट है। इसमें से दो करोड़ ही खर्च किए गए। वित्त अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि बजट का कम उपयोग करने वाले विभागों को आगामी फरवरी तक हर हाल में पूंजीगत मद के बजट को खर्च करना होगा। ऐसे विभागों से खर्च की कार्ययोजना मांगी गई है।

समाज कल्याण व युवा कल्याण में बजट का कम उपयोग

शहरी विकास को पूंजीगत पक्ष में 1194 करोड़ रुपये मिले हैं, इनमें से 180 करोड़ आवंटित हो पाए, जबकि खर्च 176 करोड़ ही किए जा सके हैं। आवास विभाग की हालत भी कमोबेश यही है। विभाग के लिए 370 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया। खर्च के लिए आवंटित 33 करोड़ में से 28 करोड़ का उपयोग हो पाया है। उद्यान विभाग के लिए कुल 236 करोड़ का बजट रखा गया है। इसमें से 14 करोड़ ही आवंटित किए गए और खर्च मात्र तीन करोड़ रुपये किए गए। न्याय विभाग का प्रदर्शन भी खराब है। विभाग ने 172 करोड़ के बजट प्रविधान में से मात्र तीन करोड़ की राशि खर्च की है।

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